Wednesday, April 21, 2010
WISH
अगर हर इछा पूरी होती,तो जिन्दगी कितनी खुबसूरत होती गम का कही नाम न होता खुशियोंकी कभी शम न होती इछा होती हमें चाँद की और हम उस पर घर बनाते इछा होती हम अस्मान की उसे पेर्र रोंद देता हम इछा होती हमे खुसबू की फूलो को मशाल देते हम इछा होती हमे उड़ने कीहम पक्षी के पर कट देते हम इछा होती हमें दूसरो की तू हम उनकी इछा पूरी नहीं हुने देते तू शयदखुद की इछा पूरी नहीं होती इसलिए अगर हमारी इछा पूरी होती तू जिन्दगी कितनी अधूरी होती ख़ुशीयों का कही नाम नहीं होता और गम की कभी शाम न होती तू ये जिन्दगी न होतीअथार्त : जिन्दगी गम व खुशीयों के बीना अधूरी है.
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